भोपाल केंद्र सरकार की जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ 17 सूत्रीय मांगों को लेकर दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों एवं सैकड़ों स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशभर के करोड़ों कामगार, कर्मचारी एवं अधिकारी 9 जुलाई 2025 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।  हड़ताल के कारण बैंक, बीमा,सामान्य बीमा, राज्य, केंद्र, बीएसएनएल, आयकर, पोस्ट ऑफिस, कोयला,रक्षा, आशा, उषा, आंगनवाड़ी सहित सार्वजनिक उपक्रमों एवं अन्य संस्थानों में कामकाज ठप्प रहेगा। संगठनों के पदाधिकारियों के अनुसार यह देशव्यापी हड़ताल अब तक की बड़ी हड़ताल होगी। 

संगठनों कि मांग है 

- चारों श्रम संहिताओं,लेबर कोड्स को खत्म करो।

 - असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, अनुबंध मजदूरों और योजना मजदूरों सहित सभी मजदूरों के लिए रुपए 26,000 रुपए प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन हो।

  - किसी भी रूप में काम का आकस्मिककरण जैसे कि आउटसोर्स, निश्चित अवधि का रोजगार, अप्रेंटिसशिप, प्रशिक्षु आदि विभिन्न योजनाओं और बहानों के तहत किया जाए। ठेका कर्मचारियों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन तुरंत लागू किया जाए।

- असंगठित क्षेत्र के कामगारों और कृषि क्षेत्र के कामगारों सहित सभी श्रेणियों के कामगारों के लिए न्यूनतम पेंशन  9,000 रुपए प्रतिमाह और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। कामगारों को पंजीकृत किया जाए और उन्हें पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा में पोर्टेबिलिटी दी जाए।

- पुरानी पेंशन योजना बहाल करो। एनपीएस और यूपीएस खत्म करो।

 - बोनसए भविष्य निधि के भुगतान और पात्रता पर सभी अधिकतम सीमाऐं हटाई जाऐं और ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाई जाएं।

- आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य पंजीकरण होय अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन सी-87 और सी-98 का तत्काल अनुसमर्थन हो।

- मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करें, खाद्यान्न, दवाइयां, कृषि-इनपुट और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं एपेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी करें। 

- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करो। राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन को खत्म करो। 

- सभी कृषि उपजों के लिए सी-2.50 प्रतिशत की दर से एमएसपी की गारंटी के साथ खरीद की जाए। कानूनी गारंटी के साथ बीज, उर्वरक और बिजली आदि पर किसानों को दी जाने वाली इनपुट सब्सिडी में वृद्धि की जाए। व्यापक ऋण माफी और फसल बीमा योजनाऐं हों। 

-बिजली संशोधन विधेयक 2022 वापस लो। बिजली का निजीकरण बंद करो। प्रीपेड स्मार्ट मीटर की प्रथा बंद करें। 

- काम करने के अधिकार को मौलिक बनाया जाए। स्वीकृत पदों को भरें और बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करें। मनरेगा (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी के साथ) का विस्तार करें और उसे लागू करें। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम लागू करें।

-सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी दी जाए। नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाए। सभी के लिए आवास सुनिश्चित किया जाए।

- वन अधिकार अधिनियम का सख्ती से क्रियान्वयनय हो, वन संरक्षण अधिनियम 2023 और जैव-विविधता अधिनियम तथा नियमों में संशोधन वापस लें, जो केन्द्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना ही वनों की कटाई की अनुमति देता है। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें।

- कल्याण कोष से अंशदान के साथ निर्माण मजदूरों को ईएसआई कवरेज दें-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी मजदूरों को स्वास्थ्य योजनाओं, मातृत्व हितलाभ, जीवन और विकलांगता बीमा का कवरेज भी दें। घरेलू मजदूरों और गृह.आधारित मजदूरों पर आईएलओ कन्वेंशनों की पुष्टि करें और उचित कानून बनाऐं। 

- अति धनवानों पर कर लगायेंय कॉरपोरेट कर में वृद्धि करेंए सम्पत्ति कर और उत्तराधिकार कर को पुन: लागू करें।

- संविधान के मूल मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विविध संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश के संघीय ढाँचे आदि पर हमले बंद करें।

 अभी तक हो चुकी है 33 राष्ट्रव्यापी हड़तालें 

 पूर्व में भी 1991 से लेकर 2024 तक करीब 34 वर्ष के दौरान ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन द्वारा नव उदारवादी आर्थिक नीतियों, मजदूर विरोधी श्रम नीतियों और प्रतिगामी बैंकिंग सुधारो आदि के खिलाफ  33 राष्ट्रव्यापी हड़तालें की जा चुकी हैं।

वी.के. शर्मा

प्रवक्ता, राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताली संगठन मध्यप्रदेश