भोपाल। राजधानी  अवधपुरी में 31 जुलाई गुरुवार को 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का श्रावण सुदी सप्तमी को निर्वाण कल्याणक है उपरोक्त दिवस अवधपुरी के विद्या प्रमाण गुरुकुलम् में मूलनायक भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का निर्वाण कल्याणक धूमधाम से मनाया जाएगा। प्रातः7 बजे से मंगलाष्टक अभिषेक एवं शांतिधारा 8:30 से 9:30 बजे तक मुनि श्री के प्रवचन 9:30 बजे भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का मोक्षकल्याणक मनाया जाएगा। भोपाल के समस्त जिनालय अपने अपने मंदिर  से निर्वाण लाड़ू बनाकर लायें। मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने कहाकि मोक्षकल्याणक पर निर्वाण लाड़ू ही चड़ायें लाड़ू पर किसी भी प्रकार की सजावट न करें न ही गोला चड़ाइये लाड़ू लाड़ू के रुप में हो किसी प्रकार चकती या और रुप में ध्वज या मंदिर आदि बना देते है वह नहीं बनाना चाहिये उपरोक्त जानकारी मुनिसंध के प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने दी।

अपने भावों को साधो भावों को "साधना"ही "भावनायोग" है
हमारे समग्र जीवन का "भावनाओं" से बहूत गहरा सम्वंध है,तीर्थंकर भगवन्तों ने भी यही कहा है कि अपने भावों को साधो भावों को "साधना"ही "भावनायोग" है। उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने "भावनायोग का विज्ञान"  फील टू हील पुस्तक पर आधारित प्रवचन माला के प्रथम दिन प्रातःकालीन धर्म सभा में व्यक्त किये उन्होंने कहा कि हमारी तीक्ष्ण बुद्धि, हमारा शारिरिक बल,हमारी सम्मोहक भाषा से बड़कर यदि कोई चमत्कार है तो वह है हमारे अंदर की भावना जो एक साधारण से पत्थर में भी हमें भगवान के दर्शन करा देती है, भावना जब अशुद्ध होती है,तो वह हमारे अंदर विकार उत्पन्न करती है,और वही भावना जब सध जाती है,तो चेतना को विशुद्ध बनाकर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है,और भावना यदि परिष्कृत हो जाये तो रसातल में भी पहुंचा देती है।

भाव यदि पवित्र होंगे तो कर्मो की निर्जरा होगी

मुनि श्री ने कहा कि "आज साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमने बहूत विकास किया है जिसमें पूरी दुनिया को ही समेट कर रख दिया है,बाहरी दुनिया में तो हमने बहूत विकास किया है, लेकिन हमारी भीतर की दुनिया उतनी ही उजड़ गयी है, अशुभ भावों से कर्मों का वंधन होगा जो हमारे संसार को बड़ाऐगा,और भाव यदि पवित्र होंगे तो कर्मो की निर्जरा होगी।

आत्मजागरण के बल पर मन की थकान को मिटा सकते है
मुनि श्री ने कहा कि शरीर की थकान को हम नींद लेकर दूर कर देते है,लेकिन आत्मा की थकान को मिटाने के लिये भावनाओं की शुद्धि और आत्मजागरण के बल पर मन की थकान को मिटा सकते है यही भावनायोग है, जैसे कम्प्यूटर के हेंग हो जाने पर उसे री फ्रेश करते है,उसी प्रकार अपने मन मस्तिष्क को भी री फ्रेश करने के लिये भावनायोग का बटन दवाइये उन्होंने कहा कि भावनायोग कोई धार्मिक मान्यताओं से बंधा हुआ नहीं है इसे कोई भी धर्म से सम्वंधित हो वह ब्यक्ति भावनायोग कर सकता है।

मनुष्य के अंदर 24 घंटे में साठ हजार विचार चलते है

मुनि श्री ने कहा कि मनुष्य के अंदर 24 घंटे में साठ हजार विचार चलते है जिसमें काम के विचार कुछ ही होते है बाकी सब फिजूल होते है जिनका जीवन में कोई अर्थ ही नहीं है, "सुख और शांतिमय जीवन का आधार भावनायोग है"यदि हमारी भावना सकारात्मक नहीं होगी तो वह जीवन को विशुद्ध नहीं बना सकती, जैसे एक नन्हे से बीज में अपने अंदर विशाल और फलदार वृक्ष की समस्त सम्भावनाऐं छिपी रहती है ठीक उसी प्रकार हमारी प्रत्येक भावना में हमारा भाग्य, हमारा चरित्र, हमारा व्यक्तित्व, यंहा तक कि हमारे जीवन की समग्रगति यंहा तक की हमारी योनियां भी सूक्ष्म रुप से निहित होती है।तीर्थंकर भगवन्तों ने भी एक ही बात कही है कि अपनी भावनाओं को साधो भावनाओं को साधने में ही तुम्हारा हित है।

 

यह श्रंखला  7 दिनों की
प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया विद्या प्रमाण गुरुकुलम् अवधपुरी में मुनिसंध का चातुर्मास चल रहा है उसी क्रम में प्रातः8:30 बजे से 9:30 बजे तक भावनायोग पर आधारित प्रवचन हुआ। यह श्रंखला आगामी 7 दिनों तक चलेगी। कार्यक्रम का संचालन बा.ब्र. अशोक भैया ने किया इस अवसर पर समस्त क्षुल्लक विराजमान थे। आगामी 31 जुलाई को भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का मोक्ष कल्याणक है। इस अवसर पर प्रवचन के उपरांत विद्या प्रमाण गुरुकुलम् के भगवान श्री पारसनाथ जिनालय में 9:30 बजे निर्वाणलाड़ू चड़ाया जाएगा।