बैंक आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ , सरकार बैंक निजीकरण की योजनाओं को तत्काल रोके

भोपाल। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के आह्वान पर राजधानी भोपाल में बैंक राष्ट्रीयकरण की 56वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक संकल्प सभा का आयोजन किया गया। जिसमें राजधानी की विभिन्न बैंकों के सैकड़ों कर्मचारी व अधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर वक्ताओं ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ बताया और सरकार से मांग की कि बैंक निजीकरण की योजनाओं को तत्काल रोका जाए। उन्होंने कहा कि अगर सार्वजनिक बैंकों को कमजोर किया गया, तो इसका सीधा नुकसान देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार और आम आदमी की बचत पर पड़ेगा।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 140 लाख करोड़ से अधिक
सभा को मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन सहित विभिन्न बैंक यूनियनों के प्रमुख पदाधिकारियों वीके शर्मा, दीपक रत्न शर्मा, मोहम्मद नजीर कुरैशी, जेपी झवर, गुणशेखरन, भगवान स्वरूप कुशवाह, देवेंद्र खरे, विशाल धमेजा, अशोक पंचोली, किशन खेराजानी, सत्येंद्र चौरसिया, राजीव उपाध्याय, अमित गुप्ता, के वासुदेव सिंह, सतीश चौबे, सुनील देसाई, संतोष मालवीय,राम चौरसिया, राशि सक्सेना, शिवानी शर्मा, अमित गुप्ता, वैभव गुप्ता, सनी शर्मा, कमलेश बरमैया, अमित प्रजापति, विजय चोपडे, मनीष यादव, जीडी पाराशर, एसके घोटनकर, चेतन मोड, ए के धूत सहित कई वरिष्ठ बैंक नेताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि 1969 में हुए बैंक राष्ट्रीयकरण ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी और आम आदमी को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ा। आज जब देश की कुल जमा राशि ?220 लाख करोड़ के पार है, उसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 140 लाख करोड़ से अधिक है, जो इस बात का प्रमाण है कि आम आदमी का भरोसा आज भी इन्हीं बैंकों में है।