मप्र में 12 लाख 58 हजार करोड़ और भोपाल में 2 लाख 60 हजार करोड़ का बैंकिंग व्यवसाय प्रभावित

आत्माराम सोनी.भोपाल
मध्यप्रदेश सहित देशभर में मजदूरों के अधिकारों और केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर बढ़े असंतोष के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ बैंक कर्मचारियों यूनियंस ने भी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल किया। जिसका असर भोपाल में भी दिखा। बैंक, बीमा, डाक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी सर्विसेज पूर्णत: ठप रही है। इस देशव्यापी हड़ताल आज मध्यप्रदेश में 40 हजार बैंककर्मी हड़ताल रहे है। जिससे 2500 से शाखाएं ,9 हजार एटीम बंद रहे। बैंककर्मी के हड़ताल पर होने से प्रदेश में 6 लाख 79 हजार करोड़ रुपए की डिपोजिट, एडवांस 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपए सहित कुल 12 लाख 58 हजार करोड़ रुपए बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ। वहीं राजधानी भोपाल के 4 हजार बैंककर्मियों के हड़ताल पर होने से 581 बैंक शाखाओं पर नकद निकासी, जमा, चेक क्लियरिंग और व्यावसायिक लेनदेन जैसी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। जिससे भोपाल में 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए को बैंकिंग व्यवसाय प्रभावित हुआ।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन के कॉमरेड वीके शर्मा ने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र के कई प्रमुख यूनियन जैसे एआईबीईए, एआईबीओए और बीइएफआई हड़ताल मेंं शामिल हुए। उन्होंने दावा किया कि मध्यप्रदेश सहित देशभर के15 करोड़ से अधिक कर्मचारी, अधिकारियों ने इस आम हड़ताल में शामिल हुए और केंद्र सरकार की प्रो-कॉर्पोरेट और एंटी-लेबर नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराई। वहीं जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ इंदिरा प्रेस कंपलेक्स भोपाल स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के सामने हड़ताली संगठनों से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी झंडा, बैनर, प्ले कार्ड्स लेकर एकत्रित हुए और जन एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया और आमसभा आयोजित की। इस मौके पर वीके शर्मा, शिव शंकर मौर्या , पूषण भट्टाचार्य, विनोद भाई, यशवंत पुरोहित ,दीपक रत्न शर्मा, एससी जैन, अजय श्रीवास्तव नीलू, रमेश राठौड़, संजय कुदेशिया, भगवान स्वरूप कुशवाह, महेंद्र सिंह ठाकुर, ओपी डोंगरीवाल, शैलेंद्र शर्मा, पीएन वर्मा, शैलेंद्र कुमार शैली आदि ने संबोधित किया। वीके शर्मा ने बताया कि प्रदेश व्यापी हड़ताल में बैंक, बीमा, केंद्र , बीएसएनएल, पोस्टल, आयकर, आंगनवाड़ी, आशा कर्मी, मध्यान भोजन कर्मी, खेतिहर मजदूर, किसान संघ, पेंशनर्स, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव , हम्माल मजदूर सभा आदि से संबंधित यूनियंस के साथ-साथ इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, सेवा समेत दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों एवं अन्य संस्थानों मैं कार्यरत ट्रेड यूनियंस के सदस्य शामिल रहे।
- हड़तालियों की विभिन्न मांगें
चारों श्रम संहिताओं, लेबर कोड्स को खत्म करो। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, अनुबंध मजदूरों और योजना मजदूरों सहित सभी मजदूरों के लिए रुपए 26,000 रुपए प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन हो। किसी भी रूप में काम का आकस्मिककरण जैसे कि आउटसोर्स, निश्चित अवधि का रोजगार, अप्रेंटिसशिप, प्रशिक्षु आदि विभिन्न योजनाओं और बहानों के तहत न किया जाए। ठेका कर्मचारियों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन तुरंत लागू किया जाए। असंगठित क्षेत्र के कामगारों और कृषि क्षेत्र के कामगारों सहित सभी श्रेणियों के कामगारों के लिए न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपए प्रतिमाह और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। कामगारों को पंजीकृत किया जाए और उन्हें पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा में पोर्टेबिलिटी दी जाए। पुरानी पेंशन योजना बहाल करो। एनपीएस और यूपीएस खत्म करो। बोनस, भविष्य निधि के भुगतान और पात्रता पर सभी अधिकतम सीमाऐं हटाई जाऐं और ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाई जाएं। आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य पंजीकरण होय अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन सी-87 और सी-98 का तत्काल अनुसमर्थन हो। मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करें, खाद्यान्न, दवाइयां, कृषि-इनपुट और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं एपेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी करें। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करो। राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन को खत्म करो। सभी कृषि उपजों के लिए सी-2.50 प्रतिशत की दर से एमएसपी की गारंटी के साथ खरीद की जाए। कानूनी गारंटी के साथ बीज, उर्वरक और बिजली आदि पर किसानों को दी जाने वाली इनपुट सब्सिडी में वृद्धि की जाए। व्यापक ऋण माफी और फसल बीमा योजनाऐं हों। बिजली संशोधन विधेयक 2022 वापस लो। बिजली का निजीकरण बंद करो। प्रीपेड स्मार्ट मीटर की प्रथा बंद करें। काम करने के अधिकार को मौलिक बनाया जाए। स्वीकृत पदों को भरें और बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करें। मनरेगा (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी के साथ) का विस्तार करें और उसे लागू करें। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम लागू करें। सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी दी जाए। नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाए। सभी के लिए आवास सुनिश्चित किया जाए। वन अधिकार अधिनियम का सख्ती से क्रियान्वयनय हो, वन संरक्षण अधिनियम 2023 और जैव-विविधता अधिनियम तथा नियमों में संशोधन वापस लें, जो केन्द्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना ही वनों की कटाई की अनुमति देता है। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें। कल्याण कोष से अंशदान के साथ निर्माण मजदूरों को ईएसआई कवरेज दें, ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी मजदूरों को स्वास्थ्य योजनाओं, मातृत्व हितलाभ, जीवन और विकलांगता बीमा का कवरेज भी दें। घरेलू मजदूरों और गृह-आधारित मजदूरों पर आईएलओ कन्वेंशनों की पुष्टि करें और उचित कानून बनाऐं। अति धनवानों पर कर लगायेंय कॉरपोरेट कर में वृद्धि करें, सम्पत्ति कर और उत्तराधिकार कर को पुन: लागू करें। संविधान के मूल मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विविध संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश के संघीय ढाँचे आदि पर हमले बंद करें।